माहियत

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दुनिया का हर शख्स, गलत फ़हमी का है शिकार

धोखा ही तो है, आफ़ताब-ओ-ज़मीन का वो प्यार

कि जो हो ऐसा तो लाश हो जाए बशर यक-लख्त

खुशफ़हमियां सहलाएं दिल जो, माहियत  करे बेज़ार |

 

©मोहक चौधरी ‘सचिंत’, ११.०२.२०१८

चित्र : ©मोहक चौधरी

माहियत- Reality, आफ़ताब- The Sun

 दरख़्त

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सूखे में तड़पते इक दरख़्त  पर

कुछ बूँदें गिरीं जो एहसास की

खुशफ़हमी में झूमा, कि होगा अब तर

बदक़िस्मत बेचारा !!!

गुज़रते अब्र की फ़ितरत से था बेख़बर |

©मोहक चौधरी ‘सचिंत’, १००२२०१८

चित्र : पीएक्सहीएर.कॉम

 

 

कमीज़

ख़ाक चढ़ी मुर्दा अरमानों की

दाग दर्दो ग़म के नुमायाँ हैं

कमीज़  ये ज़िन्दगी की मैली सी हो गयी

पानी वो उम्मीद का, अब कहाँ से लाऊं ?

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©मोहक चौधरी ‘सचिंत’, ०९.०२.२०१८

चित्र : ड्रीम्सटाइम.कॉम