‘चिता’

‘चिता’

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चेहचहाते हैं पंछी कि मौसम खुशनुमां, हवा ताज़ा है,

सूखी शाखाओं को नयी पोशाक मिलने का अंदाज़ा है |

पतझड़ ये जैसे, लाता खुशियाँ हज़ार, बेशुमार प्यार है

….पर दूजी ओर…

दम तोड़ते यादों के उन पत्तों को, इक चिता का इंतज़ार है | 

©मोहक चौधरी ‘सचिंत’, १७.०२.२०१८

चित्र : 8ट्रैक्स.कॉम

 

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